MERO BACHPAN
कभी भी कहीं भी जब तकरीबन हम उम्र संगी फुर्सत में बैठे हों तब कोई भी बात पुरानी यादों
में ले जाती है फिर शुरू हो जाते हैं अपने-अपने किस्से,खुलते जाते हैं वह पन्ने जिन्हे
आज की दिमागी हार्डडिस्क में तमाम फ़ोल्डर्स में संभाल के रखा हुआ है, बड़े सुखद व
गुदगुदाने वाली वह स्मृतियाँ एक अजीब सी ऊर्जा का संचार करती हैं|
बदलाव के इस दौर में साधन सुविधाओं में जीने वालों को अपना बचपन अक्सर याद आता होगा, जब
डिबिया - लालटेन की रोशनी भी अंधेरे को चीरते हुए आपके पढ़ने के लिए पर्याप्त हुआ करती
थी| देश के प्रधान मंत्री मोदी जी की बचपन में चाय बेचना उनकी यू एस पी बन गयी है| हर
बचपन अपनेआप में इतिहास समेटे हुए हैं इसे गुम न होने दें , खुलकर बताइए, आज की पीढ़ी के
लिए वरदान से कम नही होंगी वह स्मृतियाँ व आने वाली पीढ़ियां भी प्रेरित होंगी इस खजाने
को अब सबके लिए खोल दें , खुल कर मेरो बचपन डाट कॉम 'merobachpan.com' पर भूली बिसरि
यादों को सदैव ताजा बनाये रखें |
सुविधा भोगी पीढ़ी के लिए यह जानना जरुरी है कि सुविधाओं के बिना जीवन आज से कही बहुत
ज्यादा वास्तविक हुआ करता था, खूब आनंदित चिंतामुक्त-स्वास्थ्य , प्यार-मोहब्बत,
सम्मान-स्वाभिमान के साथ आपस में इंसानियत से भरपुर जीवन हुआ करता था|
मेरो बचपन डाट कॉम 'merobachpan.com' के लिए अभी 92 वर्षीय मेरे सबसे बड़े भाई प्रोफ़ेसर
शांति स्वरुप गुप्ता जी के बचपन की यादों से आरम्भ कर रहे हैं जबकि छः भाईयों व दो बहनो
में सबसे छोटा भाई मैं अनिल कुमार रस्तोगी (72 वर्ष) अपने स्मृति के पिटारे में से
जितना भी हो सकेगा आपके साथ साझा करता रहुंगा, अतः संकोच न करें जो भी जैसे भी निकाल
सकते हैं पोटली खोलिए और बांटिए, आपको जीने का एक नया अंदाज मिलेगा, ऊर्जा मिलेगी और
बच्चों को प्रेंरणा, हिम्मत एवं शिक्षा भी|
मेरो बचपन डाट कॉम 'merobachpan.com' पोर्टल
बड़े बुजुर्गो सहित आज के युवओं के अनुभवों एहसासों को जानने-समझने का भी मंच है |आप
स्वयं अथवा अपने बच्चो - नौनिहालों की आकर्षक स्मृतियों को भी यहाँ शेयर कर सकते हैं,
जैसे मेरी पोती सानवी 8 नवम्बर 2016 की पैदाइस है जिसे हम नोटबंदी कहते है, लेकिन बचपन
में उसे मूक बधिर बता दिया गया था, जोकि बुड़- बुड़ करते थकती नहीं है | कहे अनकहे कितने
ही किस्सों को यहां शेयर किया जा सकता है, बस कही से भी शुरुआत करें.....